
सनक तो सुलग रहा था लेकिन अवि के हाथों में कुछ भी नहीं था, ऊपर से कपड़े भी छोटे-छोटे थे। आखिरकार वेटर की तरह उसने कपड़े पहन रखे थे, उसे तो पता ही नहीं था कि होटल के मैनेजर ने जानबूझकर उसे ऐसे कपड़े पहनाए थे ताकि वो होटल में आए हुए वीआईपी गेस्ट को अपनी तरफ अट्रैक्ट कर सके और मैनेजर अच्छे से होटल चला सके।
वो जानबूझकर ऐसे ही ना जाने कितनी सारी लड़कियों की ज़िंदगी खराब कर चुका था और शायद उसी की वजह से आज सच में अवि की ज़िंदगी खराब हो रही थी — ध्रुव राठी के हाथों नहीं तो सनक राजपूत के हाथों।





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