
शुभ लक्ष्मी जी अपने बेटे का पागलपन महसूस कर पा रही थीं, तो वह खुद ही आश्वि की तरफ देखते हुए बोलीं, "अपने कमरे में जाओ और बात करके वापस आना।"
ये सुनते ही आश्वि के तो जैसे पैरों में पंख लग गए और वह भागते हुए अपने रूम में चले गए।

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